Thursday, September 1, 2011

अपनी प्यास बुझा लेते हैं...

"गमों की शहनाई को मधुर साज बना लेते हैं
माथे पर आये पसीने को अपना ताज बना लेते हैं
वो लोग और होंगे जो दरिया की आस में रहते हैं,
हम वो हैं जो चंद कतरों से अपनी प्यास बुझा लेते हैं।"
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

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