तेरे इनकार के बाद...
(काव्य संग्रह) -प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Thursday, September 8, 2011
हम बच्चे हो गए...
''
मेरी
माँ
की
मुस्कराहटों
पर
कई
सजदे
हो
गए
।
तेरे
आंचल
से
खेलते
-
खेलते
माँ
हम
बच्चे
हो
गए॥
दुश्मनों
को
पलकों
पर
बैठाकर
रखना
चाहिए
,
इन
बातों
को
माँ
की सोचते ही
,
हम
बड़े
हो
गए।
''
-
प्रवीण
तिवारी
'
रौनक
'
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