Sunday, December 2, 2012
Thursday, September 20, 2012
Tuesday, September 11, 2012
Thursday, June 28, 2012
एक अंजान कांधों पर तुम्हारा सर होगा...
वो एक बात जो मेरी आंखो से नींदे चुरा लेती है।
कि एक दिन वो पल भी आएगा।
जब एक अजनबी तुम्हारी मांग सजाएगा।।
फिर एक गैर की बाँहों में मेरा मुकद्दर होगा ।
और एक अंजान कांधों पर तुम्हारा सर होगा।।
तुम अमानत किसी और की हो जाओगी।
न समझती हो मुझे न ही कभी चाहोगी।।
ऐसे गुजरेगा वक्त, कि सारा आलम बेखबर होगा।
और एक अंजान कांधो पर तुम्हारा सर होगा।।
तेरे लौट आने की फिर कोई गंुजाइश न रहेगी।
की जैसे जिंदगी में तब कोई ख्वाहिश न रहेगी।।
उदासी चेहरे पर इन आंखों में समदंर होगा।
और एक अंजान कांधों पर तुम्हारा सर होगा।। -
प्रवीण तिवारी ‘रौनक’
Saturday, May 19, 2012
अब वो आहट कहाँ...
तुझसे मिलने पर अब वो राहत कहाँ।
तेरी बातों में अब वो चाहत कहाँ।
दिल धड़कता है तो धड़कने भी दो,
इन धड़कनों में अब वो आहट कहाँ।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
तेरी बातों में अब वो चाहत कहाँ।
दिल धड़कता है तो धड़कने भी दो,
इन धड़कनों में अब वो आहट कहाँ।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Thursday, May 17, 2012
एक आदत माँ के पाँव छूने की...
जन्नत के प्रहरी भी उनके स्वागत को बेताब होंगे।
सुबह माँ के पाँव छूने की जिन्हें आदत सी हो गयी है।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
सुबह माँ के पाँव छूने की जिन्हें आदत सी हो गयी है।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Monday, April 23, 2012
न ही तुझे भुलायेंगे...
दिल को समझाया बहुत फिर दिल को समझायांगे.
अब न ही तुझको याद करेंगे, न ही तुझे भुलायेंगे.
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Sunday, April 22, 2012
माँ के पैरो से खुलता है...
न अपनों से खुलता है, न ही गैरों से खुलता है.
ये जन्नत का दरवाज़ा है, माँ के पैरो से खुलता है.................प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Saturday, April 14, 2012
खुद से ये सवाल करते हैं...
अक्सर खुद से ये सवाल करते हैं ,
वो हमसे क्यूँ नहीं प्यार करते हैं ।
बहुत संभलकर बात करते हैं वो,
जब कभी हम उनसे बात करते है।
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
वो हमसे क्यूँ नहीं प्यार करते हैं ।
बहुत संभलकर बात करते हैं वो,
जब कभी हम उनसे बात करते है।
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Tuesday, April 10, 2012
तेरी याद में हम जागे इस कदर...
कल रात तेरी याद में हम जागे इस कदर,
की नींदो ने आँखों से बेवफाई कर ली।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
की नींदो ने आँखों से बेवफाई कर ली।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Tuesday, March 27, 2012
तेरी जुल्फे हम क्या...
तेरी जुल्फें हम क्या सुलझाने लगे हैं।
लोग उलझने लेकर पास आने लगे हैं।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
लोग उलझने लेकर पास आने लगे हैं।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
कुछ शेर तन्हा रातों के नाम...
ये सोचकर की खुश हूं मैं उनके बेगैर,
वो अंदाजा लगाने लगे मेरी मोहब्बत का।
उनकी याद में आंसूओं ने सफर तय किया मेरे सिरहाने तक,
तब कहीं जाकर ख्वाब तर हुए, और मजा आया है सोने का।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
वो अंदाजा लगाने लगे मेरी मोहब्बत का।
उनकी याद में आंसूओं ने सफर तय किया मेरे सिरहाने तक,
तब कहीं जाकर ख्वाब तर हुए, और मजा आया है सोने का।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
कुछ शेर तन्हा रातों के नाम...
दर्द आंखो में लेकर हम जिए जा रहे,
आंसू बनकर हैं जो आखों से बहे जा रहे।
तेरे बैगेर ऐसे कटता है एक एक लम्हा हमारा,
अजनबी बनकर जैसे अंधेरों में रहे जा रहे।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
आंसू बनकर हैं जो आखों से बहे जा रहे।
तेरे बैगेर ऐसे कटता है एक एक लम्हा हमारा,
अजनबी बनकर जैसे अंधेरों में रहे जा रहे।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Monday, March 26, 2012
कुछ शेर तन्हा रातों के नाम.....
सदियां लगेंगी तेरे गम से निकलने में,
फिर थोड़ा वक्त लगेगा हमको संभलने में।
हमसफ़र तुझे बनाना तो मुमकिन ही न था,
बहुत शर्म आती थी तुम्हें मेरे साथ चलने में।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
फिर थोड़ा वक्त लगेगा हमको संभलने में।
हमसफ़र तुझे बनाना तो मुमकिन ही न था,
बहुत शर्म आती थी तुम्हें मेरे साथ चलने में।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Thursday, March 8, 2012
हमने सच्ची मोहब्बत कर ली...
हमने सच्ची मोहब्बत कर ली।
एक खाव्हिश थी जो पूरी कर ली॥
उसने एक रोज हिलाया था हाथ हवा में।
हमने हवाओं से भी मोहब्बत कर ली॥
जैसे टूटता है तारा वैसे टूटा है दिल मेरा।
यही सोचते है हमने क्यों दिल्लगी कर ली॥
उसकी यादें भी कितना सहारा देंगी मुझे।
जिंदगी से हमने जो बगावत कर ली॥
कभी तेरा जिक्र जो किया किसी ने।
हमने उससे फिर दोस्ती कर ली॥
न दौलत की चाह रखते हैं न शोहरत की।
एक तुझे ही पाने की कोशिश कर ली॥
तुमने समझा नहीं खुद के लायक हमें।
इसलिए दूरी हमसे तुमने जरुरी कर ली॥
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
एक खाव्हिश थी जो पूरी कर ली॥
उसने एक रोज हिलाया था हाथ हवा में।
हमने हवाओं से भी मोहब्बत कर ली॥
जैसे टूटता है तारा वैसे टूटा है दिल मेरा।
यही सोचते है हमने क्यों दिल्लगी कर ली॥
उसकी यादें भी कितना सहारा देंगी मुझे।
जिंदगी से हमने जो बगावत कर ली॥
कभी तेरा जिक्र जो किया किसी ने।
हमने उससे फिर दोस्ती कर ली॥
न दौलत की चाह रखते हैं न शोहरत की।
एक तुझे ही पाने की कोशिश कर ली॥
तुमने समझा नहीं खुद के लायक हमें।
इसलिए दूरी हमसे तुमने जरुरी कर ली॥
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
कुछ नही है मेरे पास...
तुझसे बिछड़ने का एक डर था जो अब नहीं रहा,
तुमने ही तो दूर जाने की इच्छा जताई है।
दौलत, सोहरत और मोहब्बत कुछ नही है मेरे पास,
सिर्फ गम, तन्हाई और आंशू जीवन भर की कमाई है।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
तुमने ही तो दूर जाने की इच्छा जताई है।
दौलत, सोहरत और मोहब्बत कुछ नही है मेरे पास,
सिर्फ गम, तन्हाई और आंशू जीवन भर की कमाई है।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
ये कोई उम्मीद न लगा बैठे...
मेरे आने की खबर को वो भुला बैठे,
फिर अपनी हर एक चाहत को हम छुपा बैठे।
बस इस डर से वो बात करते नहीं हमसे,
की कही फिर ये कोई उम्मीद न लगा बैठे।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
फिर अपनी हर एक चाहत को हम छुपा बैठे।
बस इस डर से वो बात करते नहीं हमसे,
की कही फिर ये कोई उम्मीद न लगा बैठे।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
सारे रास्ते बदल गए...
अपनी सब बातें वो नफरतों में बदल गए,
मेरे करीब रहने की सारी आदतें बदल गए।
अब किस और जाये इसी असमंजस में है हम,
एक उनको ही पाने के सारे रास्ते बदल गए।
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
मेरे करीब रहने की सारी आदतें बदल गए।
अब किस और जाये इसी असमंजस में है हम,
एक उनको ही पाने के सारे रास्ते बदल गए।
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
हल्का सा मुस्कुरा लिया हमने...
अपने दर्द को हमसफ़र बना लिया हमने,
इस राज को सबसे छुपा लिया हमने।
जो कहीं तेरा नाम लिखा देखा,
बस हल्का सा मुस्कुरा लिया हमने।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
इस राज को सबसे छुपा लिया हमने।
जो कहीं तेरा नाम लिखा देखा,
बस हल्का सा मुस्कुरा लिया हमने।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
आँखों से पानी छोड़ दिया हमने...
तेरे न होने की एक निशानी छोड़ दिया हमने,
तू मेरा नहीं है सबसे जुबानी बोल दिया हमने।
तुमने कसम खायी थी मुझसे प्यार न करने की,
ये पता चलते ही आँखों से पानी छोड़ दिया हमने।
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
तू मेरा नहीं है सबसे जुबानी बोल दिया हमने।
तुमने कसम खायी थी मुझसे प्यार न करने की,
ये पता चलते ही आँखों से पानी छोड़ दिया हमने।
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Monday, January 30, 2012
चले जायेंगे हम तुम्हारी जिंदगी से...
दूर हो जायेंगे हम दुनिया की हर एक खुशी से,
अपना दर्द समेट लेंगे न बोलेंगे किसी से।
तुम्हे नाराज होने की अब कोई जरुरत नहीं है,
खुद ही चले जायेंगे हम तुम्हारी जिंदगी से।...............प्रवीण तिवारी 'रौनक'
अपना दर्द समेट लेंगे न बोलेंगे किसी से।
तुम्हे नाराज होने की अब कोई जरुरत नहीं है,
खुद ही चले जायेंगे हम तुम्हारी जिंदगी से।...............प्रवीण तिवारी 'रौनक'
कई शाम गुजार दी हमने...
बस इस इंतज़ार में कई शाम गुजार दी हमने,
एक दिन कहा था उसने की शाम को बात करेंगे।........प्रवीण तिवारी 'रौनक'
एक दिन कहा था उसने की शाम को बात करेंगे।........प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Wednesday, January 4, 2012
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा...
मां आज तुम फिर गांव को चली जाओगी।
तुम्हारें बिन मैं एक पल भी न रह पाउंगा।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
तुम बिन मां ये घर काटने को दौड़ता है।
तनहा सा रहता हूं, हर दिन अखरता है।।
बिन तेरी आवाज मैं कैसे सुबह उठ पाउंगा।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
सुबह ‘रौनक’ इक आवाज सी आएगी।
स्नेह भरी खाने की थाली पड़ोस से आएगी।।
तेरे बिन मां मैं एक निवाला भी न खा पाउगां।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
तेरे न होने पर मौसी का खूब दुलार मिलता है।
सुबह हो या हो शाम स्वादिष्ट आहार मिलता है।।
उनके इस कर्ज को मां मैं कैसे चुका पाउंगा।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
तुम बिन मां ये जिंदगी मजबूरी लगती है।
तेरे हाथों से सूखी रोटी भी मां पूरी लगती है।।
उन हाथों के एक निवाले को मैं तरस जाउंगा
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।
तुम्हें याद करके मैं बहुत रोता हंू।
तुम बिन मां मैं कहां तनिक भी सोता हूं।।
तेरी रातों की लोरी को सोचकर ही रह जाउंगा।।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
तुम जैसा मां कोई भी अपना नहीं है।
तुम नहीं हो मां तो कोई सपना नहीं है।।
कदम अपने लक्ष्य की ओर कैसे बढ़ा पाउंगा।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
-प्रवीण तिवारी ‘रौनक’
तुम्हारें बिन मैं एक पल भी न रह पाउंगा।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
तुम बिन मां ये घर काटने को दौड़ता है।
तनहा सा रहता हूं, हर दिन अखरता है।।
बिन तेरी आवाज मैं कैसे सुबह उठ पाउंगा।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
सुबह ‘रौनक’ इक आवाज सी आएगी।
स्नेह भरी खाने की थाली पड़ोस से आएगी।।
तेरे बिन मां मैं एक निवाला भी न खा पाउगां।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
तेरे न होने पर मौसी का खूब दुलार मिलता है।
सुबह हो या हो शाम स्वादिष्ट आहार मिलता है।।
उनके इस कर्ज को मां मैं कैसे चुका पाउंगा।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
तुम बिन मां ये जिंदगी मजबूरी लगती है।
तेरे हाथों से सूखी रोटी भी मां पूरी लगती है।।
उन हाथों के एक निवाले को मैं तरस जाउंगा
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।
तुम्हें याद करके मैं बहुत रोता हंू।
तुम बिन मां मैं कहां तनिक भी सोता हूं।।
तेरी रातों की लोरी को सोचकर ही रह जाउंगा।।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
तुम जैसा मां कोई भी अपना नहीं है।
तुम नहीं हो मां तो कोई सपना नहीं है।।
कदम अपने लक्ष्य की ओर कैसे बढ़ा पाउंगा।
लगता है मां आज मैं भूखा ही रह जाउंगा।।
-प्रवीण तिवारी ‘रौनक’
Subscribe to:
Posts (Atom)