तेरे इनकार के बाद...
(काव्य संग्रह) -प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Sunday, April 22, 2012
माँ के पैरो से खुलता है...
न अपनों से खुलता है, न ही गैरों से खुलता है.
ये जन्नत का दरवाज़ा
है, माँ के पैरो से खुलता है.................प्रवीण तिवारी 'रौनक'
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