Thursday, March 8, 2012

ये कोई उम्मीद न लगा बैठे...

मेरे आने की खबर को वो भुला बैठे,
फिर अपनी हर एक चाहत को हम छुपा बैठे।
बस इस डर से वो बात करते नहीं हमसे,
की कही फिर ये कोई उम्मीद लगा बैठे।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'

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