''बेटी न होगी फिर ये संसार भी न होगा,
मात-पिता के आंशुओं का कोई खरीदार न होगा।
जिसकी आहट से चहेक उठती है भाई की कलाई,
वो बहन भी न होगी फिर वो प्यार भी न होगा। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
मात-पिता के आंशुओं का कोई खरीदार न होगा।
जिसकी आहट से चहेक उठती है भाई की कलाई,
वो बहन भी न होगी फिर वो प्यार भी न होगा। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'
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