Sunday, March 30, 2014

तेरे हाथों को छुए ...

''तेरे हाथों को छुए ज़माने हो गए।
मैं तेरा था कभी,ये किस्से अब पुराने हो गये॥
हवाओं की तरह तुमने रुख मोड़ लिया है मुझसे,
टूट कर ऐसे बिखरे की फ़िर खाने खाने हो गए। "
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'

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