तेरे इनकार के बाद...
(काव्य संग्रह) -प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Thursday, June 11, 2015
सर झुकाए बैठे हैं...
ये लब ख़ामोश ही रहेंगे की इनमें जान न बची।
हम ज़िन्दगी के मुहाने पर सर झुकाए बैठे हैं।।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
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