कोई भूल पाता है किसी को भुलाने से।
ये बात पूछो तुम किसी दिवाने से।
मेरी खामोशियों पर यूं न उंगलियां उठाओ,
मैं तन्हा हूं पिछले कई जमाने से।
कल रात मुझे नींद बहुत अच्छी आई,
किसी रूठे हुए के मान जाने से।
ये बात पूछो तुम किसी दिवाने से।
मेरी खामोशियों पर यूं न उंगलियां उठाओ,
मैं तन्हा हूं पिछले कई जमाने से।
कल रात मुझे नींद बहुत अच्छी आई,
किसी रूठे हुए के मान जाने से।
तुम पर शक की कोई गुंजाईश न रहेगी,
तुम पास तो आओ किसी बहाने से।
तबीयत मेरी फिर हरी सी हो गयी,
सिर्फ तेरे एक बार मुस्कुराने से।
तेरे गम को मैंने हावी न होने दिया,
जाकर मैं लौट आया हूं मैखाने से।
खुदा महफूज रखे ऐसे लोगो को,
जो हँस पड़ते हैं किसी के हँसाने से।
तुझे खोने का दर्द आज भी जिंदा है,
खुदा बचाए मुझे लोगो के ताने से।
इत्र की तरह वो मुझमें महकता है,
एक बार छू लिया था जिसे अंजाने से।
-प्रवीण तिवारी ‘रौनक’
very nice dude...
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 18 जून 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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