तेरे इनकार के बाद...
(काव्य संग्रह) -प्रवीण तिवारी 'रौनक'
Saturday, May 19, 2012
अब वो आहट कहाँ...
तुझसे
मिलने
पर
अब
वो
राहत
कहाँ
।
तेरी
बातों
में
अब
वो
चाहत
कहाँ
।
दिल
धड़कता
है
तो
धड़कने
भी
दो
,
इन
धड़कनों
में
अब
वो
आहट
कहाँ
।
-
प्रवीण
तिवारी
'
रौनक
'
Thursday, May 17, 2012
एक आदत माँ के पाँव छूने की...
जन्नत
के
प्रहरी
भी
उनके
स्वागत
को
बेताब
होंगे।
सुबह
माँ
के
पाँव
छूने
की
जिन्हें
आदत
सी
हो
गयी
है।
-
प्रवीण
तिवारी
'
रौनक
'
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