ख्वाबों को हकीकत में मिलाना नहीं आया।
मुझे जिंदगी जीने का बहाना नहीं आया।
सरकते न आँसू आँखों की दहलीज से।
तेरी यादों को ठीक से सहलाना नहीं आया।
रात सूना रहा मेरी उम्मीदों का आँगन।
आज कोई ख्वाब तेरा सुहाना नहीं आया।
रूठी धड़कनो की हसरतें हो जाती पूरी।
तुम्हें सलीके से गले लगाना नहीं आया।
थामा ही नहीं तुमने इशारों की डोर को।
मुझे ही कोई बात बताना नहीं आया।
तुम न जाते तो भला और क्या करते।
मुझे ही साथ तेरा निभाना नहीं आया।
झूठी तसल्ली ही सही कुछ तो मिलता।
तक़दीर तुझे बहलाना नहीं आया।
हम सोए ऐसा की फिर उठे ही नहीं।
माँ की तरह किसी को जगाना नहीं आया।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'
मुझे जिंदगी जीने का बहाना नहीं आया।
सरकते न आँसू आँखों की दहलीज से।
तेरी यादों को ठीक से सहलाना नहीं आया।
रात सूना रहा मेरी उम्मीदों का आँगन।
आज कोई ख्वाब तेरा सुहाना नहीं आया।
रूठी धड़कनो की हसरतें हो जाती पूरी।
तुम्हें सलीके से गले लगाना नहीं आया।
थामा ही नहीं तुमने इशारों की डोर को।
मुझे ही कोई बात बताना नहीं आया।
तुम न जाते तो भला और क्या करते।
मुझे ही साथ तेरा निभाना नहीं आया।
झूठी तसल्ली ही सही कुछ तो मिलता।
तक़दीर तुझे बहलाना नहीं आया।
हम सोए ऐसा की फिर उठे ही नहीं।
माँ की तरह किसी को जगाना नहीं आया।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'